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Saturday, December 23, 2017

तेरी चहक......


चहक उठी आँगन में इक किलकारी,
जबसे तू आयी मेरा जीवन करने हरयाली,
तुझे कोख उठाये हर रोज आलिंघन करता,
पर उस पल तेरी निगाह में वो फर्क न दिखता,
तेरी चहक में पूरा आँगन हँसता,
जैसे घोर अंधियारे इक दिया सजता,
तुझे हर रोज उठाके खूब खिलाऊँ,
हाथ पकड़ तुझे चलना सिखाऊँ।
इक रोज़ सुना वो आधा शब्द जब तेरे मुख से,
मन्न हुवा रो दूँ मैं जी भर बहुत और बहुत सुख से,
फिर तेरे क़दमों की खनक हर सुबह मुझे जगाती,
जैसे सोये हुए श्रमिक को प्रेरित कराती,
तेरे हर कदम सफर मैं साथ रहता,
कब शयानी हुवी मेरी परी इस बात से आचम्भित करता,
आज डोली में बैठ जाती मेरी सयानी,
हर आँख से निकलकर पानी,
तेरी किलकारी मुझे अब हर रोज बुलाती,
सारे पन्ने तेरे जाने तक मुझे गिनाती,
चहक उठी थी इक दिन मेरे आँगन भी तेरी किलकारी,
अब  वो चहक मुझे हर रोज बुलारी। 

Thursday, December 21, 2017

हर रात

इक रोज देखता खुला आसमा...
टिमटिमाते तारे, और उनसे घिरा चाँद,
कह रहा हो मुझे,अकेला पाकर;

मेरी ख़ामोशी समझता,
और मैं पहचानता उस अपने को वहां ऊपर,
जैसे देख रहा हो मुझे वो भी ,
रखे निगाह चमकती चादर से;
रोशन करते हुए इस काली रात को,

सरसराती हवा कपाँति जिस्म मेरा,
मेरे साथ होने का दावा करती हुवी,
ओस की बूंद से भीगी पलक, आंशुओं को बढाती,
और अचानक इक टूटता तारा दौड़ता,
हो आतुर मुझसे मिलन को;
दूर कंही इक पाश्वक मेरे वहाँ होने का प्रमाण देता,
और शहर की बंध होती रोशनियां, डराती,

और फिर मैं रात भर आँखे टिकाये चाँद पर, 

वो जो अपना सा लगता,
मेरा साथ दे रहा हो,कहके 
"मैं साथ हूँ तेरे इस डरावनी रात तक"

Tuesday, December 12, 2017

Life

FOUND nowhere like a vacuum,
Shivering on a cliff.
A vent deep inside my heart,
eroding with emotional caldera,
and a large magma trying to spurt out,
wants to burn my body too.
Happiness is just like sand dunes and a Mirage of my eyes.
A batholith pushed me up,always;
    yes every moment.
A drastic tornado,destructing me more.
And I am stand here,on this cliff,waiting.
Waiting for the Harmattan,like I am an African.

Monday, December 4, 2017

I would have you....

I wish I would have you,have you there
Where you in my arms 
and I'm in yours too,
Your breath whisper my ear,
whishper the story of your love for me,
And your tears drench me melt me in you,
Then I found your palm-mark on my back; 

I wish I would have you, have you there,
Where sky sing for us, sing our best song,
Air spread aroma, the aroma of our love,
Where love-birds stare and embarrassed to see us,
And where we cry and laugh together;

I wish I would have you, have you there,
Where I hold you and you hold me too,
You share your pain and I share mine too,
Where sun dust for us and night will never bright,
And where I grab you grab as my own blanket,
I wish I would have you, have you there; for forever

Friday, December 1, 2017

माँ

आज फिर नम हवा छू कर गुजरी मुझे,
आज फिर माँ मेरी याद में रोयी होगी,

होगी नजरें राह में हररोज,
मेरे आने की राह सजाए होगी,
होगी संघ यादों में मेरी,
कमरे में मेरे वो बैठी होगी,

सिरहाने होगी तस्वीर मेरी उसके,
आँखों को अपनी टिकाए होगी,
रात ख्वाब होगी दस्तक मेरी फिर,
आँखों से अबतक न वो सोयी होगी,

होगी धुंदली नजर यूँ तो उसकी,
मेरी सूरत से तो वो फिर उजली होगी,
करती होगी बातें मेरी सबसे,
तारीफों में मुझको डुबोए होगी,
होगी भरी तिजोरी वहीं,
मिठाई हिस्सा अपना भी संभाले होगी

आज फिर नम हवा छू कर गुजरी मुझे,
आज फिर माँ मेरी याद में रोयी होगी|

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"लोग उल्हानो  से भर जाते हैं कान उसके जब,
तब  बाहरी मन्न मुझे वो डांट देती है,
कहती है दुनिया पागल है नासमझ भी,
माँ मेरी अक्सर गुस्से में रो देती है."

"उसे भले याद नहीं कल अपना ,
मेरा जमाना वो याद रखती है,
ऐ अँधेरे तू अब भी जगमग हो जा 
वो अपने नायक का दिया साथ रखती है."

"वो कहती है भूल जा सारी हारों को,
पर उसके आंसू भी बहे थे मेरे टूट जाने पर"

"वो टूट कर चाहती है ये जनता हूँ मैं,
बस यही भरोसा अक्सर मुझे  उससे लड़वा देता है"


"when you look at your mother, you are looking at the purest love you will ever know"
- charley Benetto




Friday, November 17, 2017

उड़ान....











है जो
घेरे तुझे यूँ,
उड़ चल, तेरे पंखों में वो जान आज भी है,
क्या डर है इन् साजिश चेहरों से,
सपनो के तेरे ऊँचे मकान आज भी है,
फैला के उड़ उम्मीदों के पंखों को,
तलाशती रोशनी तेरी उड़ान आज भी है।

Tuesday, November 14, 2017

वो है कहीं ?


शामिल मुझमे वो यूँ,
घुला कोई रंग है;
पन्ना मेरी कहानी सा,
हरचंद वो संघ है!
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?

बेदर –बेदर
बिस्मिल-बिस्मिल

रहता है मुझमे कहीं,
शीप के मोती सा वो,
घुली मिठास मिश्री सी,
रंग कोई रोशनी का वो,
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?

वेह्शत –वेह्शत
जाहिल-जाहिल

बसता है वो मुझमे,
ख़ल्वत भरा शोर कोई,
खू जैसा है मेरा,
तर्क करता मुझमे कहीं,
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?
हसरत सा,वेह्शत सा,
ढूँढू कहाँ उसको मैं फिर?





हरचंद              every moment
बेदर                waken
बिस्मिल          wounded
वेह्शत             madness
जाहिल             bestial
ख़ल्वत            isolation
खू                   habit
तर्क                 relinquishment
हसरत             desire







Saturday, October 14, 2017

A REALITY...


हाँ तुम फिर थी कल....

छनती पहली किरण केशों से,
जैसे दे रही हो राहत गहरी नींद की थकन से ,
हाथों का स्पर्श माथे पर मरहम लगाता गहरे  दर्द का,
और वो चुम्बन माथे पर, सुबह को फीका ठहराता।
नजारा, जो जुठला रहा हो मृगतृष्णा मेरी,
एक देवी के होने की।
और फिर बटोरता सब कुछ मैं बाँहों में तुम्हारा,
जैसे समा गया हो ब्रह्माण्ड सारा।
हाँ यही देखा था कल फिर, तुम थी वहाँ,
यादों की गोध में मुझे सुलाती,
हाँ तुम ही थी, सोचकर भीगती पलकें फिर,
यादों का घाव उधेड़ कर।
दर्द का एहसास महसूस होता तुम्हारे न होने का.
 हाँ तुम थी फिर कल, आज या शायद कल भी वहीँ ?
                                                      -अवधेश कुड़ियाल

Friday, October 6, 2017

हौसला..

"start with a 'DESIRE', show your 'DEDICATION',then you will
automatically become a 'HARD WORKER',and at last you need 
PATIENCE'
to feel your 'GLORY'".

-Avdhesh Kuriyal







Wednesday, October 4, 2017

तू रंग मेरा...

तू कौन सा रंग है मेरा?
मैं सजने लगा तुझमे घुल के,
मैं रंग तेरा मेरा तू है,
खिलते रहे अब संघ बह के।

तू कौन तासीर है मेरी? 
कौन गीत सुरीला तू?
रात घनेरी काली तू,
और रात चाँद चमकीला तू।
तू घीत पुराना है मेरा,
वही राग सजीला तू।

आंसू तू ,हंसी रंग मुस्कान भी तू।
ईश्वर तू, अल्लाह भी तू,
ज़मीन रंग आसमान भी तू।
सजा फूल बाग़ भी तू,
शब्दों की आवाज भी तू,

तू उगता सूरज है मेरा,
सांझ लाल आसमान भी तू,
तू ख्याल मेरा,
रात,सपना और चाँद भी तू,
गर्म हवा शरद भी तू,
और शीत लहर ग्रीष्म भी तू।

मैं तेरा, और मेरा तू,
जीत, हार हर यार भी तू,
लहू तू, आँशु भी तू,
और हर कहानी जुबान भी तू।

तू शांत सवेरा है मेरा,
भीड़ शोर और चाल भी तू,
गीत, तर्रानुम तू मेरा,
और मृदंग ढोल ताल भी तू,

तू क्यों चंचल फिरता वन वन,
क्या ढूंढता बेसुद वन वन  यूँ?
मेरे हर हाल में तू, हर वाद में तू,
ये जीवन तू और ये सांस भी तू।

Saturday, August 26, 2017

ग़ुमराह?

है तेरी तासीर कोई,
तू भी मुमकिन है या नही?
है रंग तुझमे कोई,
या रंग है तेरे कई?
खुर्शीद है तू, या है माह कोई?
तू अकबर है, या ना-मंजिल राह कोई?


दे बता ऐ खुदा,
ऐ खुदा दे बता


छुपा हूँ मैं तुझसे,
या तू छुपा है कहीं?
इबारत करूँ तुझसे कुछ,
या ढूंढू कोई क़ासिद कहीं?

खोया रहूँ राहों में यूँ,
भटकता कोई राही रहूँ!

बाद-खू तेरी भी अजीब है,
या है तेरी खूभी यही?
उश्शाक़ हूँ मैं तेरा कोई,
या हूँ मुद्दई शामिल कोई?

मैं कौन हूँ तेरा यहाँ, या मेरा तू कौन है,बता
दे बता ऐ खुदा,
ऐ खुदा दे बता।









urdu words   meaning.
तासीर        impression
खुर्शीद        sun
माह          moon
अकबर        greatest
इबारत        diction
क़ासिद        messenger
बाद-खू        bad habits
उश्शाक़        lover
मुद्दई          enemy 






Wednesday, August 2, 2017

A Pulse Of Believe

A dream full of missing pieces,
Still eager to meet the puzzle.
A picture full of missing colors,
Still eager to meet the painter.

Looking around packed streets,

Full of strange pieces painted faces.
Feeling around dirty hearts,
Full of strange patches painted vessels.

Racking my brain searching 

Those pieces that picture,
Slapping my vessels pursuing
Those pieces that picture.

Looking around packed streets,

Full of strange pieces painted faces.
Feeling around dirty hearts,
Full of strange patches painted vessels.

A pulse of believe type

Shakes my heart and wipe
Those strange pieces painted faces
Those strange patches painted vessels.

Monday, July 31, 2017

DREAM

Last night felt again, the wetness on my shoulder,
The black mark of your eye shades,
And we were talking, like we met after decades.
Last night felt again, that aroma, the aroma of your hair;
drawn a sweet disturbance in my eyes,
eyes, wants to keep and reside you always.
Last night felt again, the warmness of your arms,
that made me an emperor,
as veiled my all gloom.
Last night again you were in my DREAM,


last night, I want again and again, to live again.

भ्रम

हाँ हो सकता है, हो आज भी तुम कंही मुझमे,
घुली इक मिश्री की डली सी यादों, में रंग घुलाये हो लाल!

हाँ हो सकता है;
ये भी तो एक भ्रम हो सकता है,
तुम्हारी यादों में मेरे होने का?
इक सूखी पत्ती जैसे टूट चुकी हो,
 किसी बड़े पेड़ की!

हाँ हो सकता है;
कि मैं यूँही तपता हूँ इस आग में,
यादों की सब लकड़ी डाले! पिघल रहा हूँ,
ख़त्म हो रहा हूँ हर दिन!

हाँ हो सकता है;
हूँ आज भी मौजूद मैं,
इक भूला साथी किसी अनचाही राह का;
हाँ हो सकता है, दे रहा विस्वास होने का!

Thursday, July 27, 2017

रंग

रंगनि है अब दुनिया अपनी, जीत रंग सजाऊँ मैं!
रंग कँहा से लाऊं मैं? रंग कँहा से लाऊं मैं?

रंग दूँ खुद के धुंदले रंग को,
या भाग्य रंग इंतज़ार करूँ?
रंग दूँ उठकर जग सारा,
या जग रंग स्वीकार करूँ?
रंग खोज लूँ खुद में घुलकर,
या रंग बेरंगों से उधार करूँ?

रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग रंगीले हर पIर करूँ!

बेरंगों को रंग में भर दूँ,
हंसी रंग बहार करूँ!
रंगनि है अब कर्म धरातल,
मेहनत रंग मैं लाल करूँ!
वीर रंग जो है मुझमे, उस रंग का सृंगार करूँ!
रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग सूरज पहनाव करूँ!