Search This Blog

Friday, December 1, 2017

माँ

आज फिर नम हवा छू कर गुजरी मुझे,
आज फिर माँ मेरी याद में रोयी होगी,

होगी नजरें राह में हररोज,
मेरे आने की राह सजाए होगी,
होगी संघ यादों में मेरी,
कमरे में मेरे वो बैठी होगी,

सिरहाने होगी तस्वीर मेरी उसके,
आँखों को अपनी टिकाए होगी,
रात ख्वाब होगी दस्तक मेरी फिर,
आँखों से अबतक न वो सोयी होगी,

होगी धुंदली नजर यूँ तो उसकी,
मेरी सूरत से तो वो फिर उजली होगी,
करती होगी बातें मेरी सबसे,
तारीफों में मुझको डुबोए होगी,
होगी भरी तिजोरी वहीं,
मिठाई हिस्सा अपना भी संभाले होगी

आज फिर नम हवा छू कर गुजरी मुझे,
आज फिर माँ मेरी याद में रोयी होगी|

_________________________________________________________________________________



"लोग उल्हानो  से भर जाते हैं कान उसके जब,
तब  बाहरी मन्न मुझे वो डांट देती है,
कहती है दुनिया पागल है नासमझ भी,
माँ मेरी अक्सर गुस्से में रो देती है."

"उसे भले याद नहीं कल अपना ,
मेरा जमाना वो याद रखती है,
ऐ अँधेरे तू अब भी जगमग हो जा 
वो अपने नायक का दिया साथ रखती है."

"वो कहती है भूल जा सारी हारों को,
पर उसके आंसू भी बहे थे मेरे टूट जाने पर"

"वो टूट कर चाहती है ये जनता हूँ मैं,
बस यही भरोसा अक्सर मुझे  उससे लड़वा देता है"


"when you look at your mother, you are looking at the purest love you will ever know"
- charley Benetto




No comments:

Post a Comment