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Thursday, July 27, 2017

रंग

रंगनि है अब दुनिया अपनी, जीत रंग सजाऊँ मैं!
रंग कँहा से लाऊं मैं? रंग कँहा से लाऊं मैं?

रंग दूँ खुद के धुंदले रंग को,
या भाग्य रंग इंतज़ार करूँ?
रंग दूँ उठकर जग सारा,
या जग रंग स्वीकार करूँ?
रंग खोज लूँ खुद में घुलकर,
या रंग बेरंगों से उधार करूँ?

रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग रंगीले हर पIर करूँ!

बेरंगों को रंग में भर दूँ,
हंसी रंग बहार करूँ!
रंगनि है अब कर्म धरातल,
मेहनत रंग मैं लाल करूँ!
वीर रंग जो है मुझमे, उस रंग का सृंगार करूँ!
रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग सूरज पहनाव करूँ!

7 comments:

  1. Tareef kru teri iss poem ki
    Kaise apni feeling batlau m|
    Wo sabd kha se lau m
    Wo sabd kha se lau m||
    Laajbab mere bhai
    Shaandaar����

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  2. Awsome yr....u r a gd poet tooo😃

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  3. Awsome yr....u r a gd poet tooo😃

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  4. व्यर्थ नहीं तेरे रंग वो जो भरें है तूने दुनिया मे,
    रंगमय होगी दुनिया जब "वो" रंग होगा तेरे रंग मे ।।
    "बहुत सुंदर अवध नरेश "

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  5. Awesome Bhai..great work..what else you hiding,

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