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Friday, November 17, 2017

उड़ान....











है जो
घेरे तुझे यूँ,
उड़ चल, तेरे पंखों में वो जान आज भी है,
क्या डर है इन् साजिश चेहरों से,
सपनो के तेरे ऊँचे मकान आज भी है,
फैला के उड़ उम्मीदों के पंखों को,
तलाशती रोशनी तेरी उड़ान आज भी है।

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