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Monday, April 9, 2018

हुँकार.........

वक़्त काल हर जग पहरा,
ये पहर तेरा,वो पहर मेरा,
बादल गरज शरद फिर ठिठुरा,
सावन भादों सब लगे ठहरा,
करुण ब्यथा क्यूँ अभी गाऊं?
अंतर अग्नि फिर सुलगाऊँ,
मातम -मातम क्यूँ मनाऊँ?
जीत बिगुल हर पार बजाऊँ,
हार कहाँ जो हार मनाऊँ,
जोर हुंकार हर पार लगाऊँ,
मृत्यु कहाँ, जो जीत वो जाये,
हार कहाँ, जो शोक मनाये,
वक़्त काल है हर जग पहरा,
ये पहर तेरा, वो पहर मेरा।।।

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