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Saturday, October 14, 2017

A REALITY...


हाँ तुम फिर थी कल....

छनती पहली किरण केशों से,
जैसे दे रही हो राहत गहरी नींद की थकन से ,
हाथों का स्पर्श माथे पर मरहम लगाता गहरे  दर्द का,
और वो चुम्बन माथे पर, सुबह को फीका ठहराता।
नजारा, जो जुठला रहा हो मृगतृष्णा मेरी,
एक देवी के होने की।
और फिर बटोरता सब कुछ मैं बाँहों में तुम्हारा,
जैसे समा गया हो ब्रह्माण्ड सारा।
हाँ यही देखा था कल फिर, तुम थी वहाँ,
यादों की गोध में मुझे सुलाती,
हाँ तुम ही थी, सोचकर भीगती पलकें फिर,
यादों का घाव उधेड़ कर।
दर्द का एहसास महसूस होता तुम्हारे न होने का.
 हाँ तुम थी फिर कल, आज या शायद कल भी वहीँ ?
                                                      -अवधेश कुड़ियाल

Friday, October 6, 2017

हौसला..

"start with a 'DESIRE', show your 'DEDICATION',then you will
automatically become a 'HARD WORKER',and at last you need 
PATIENCE'
to feel your 'GLORY'".

-Avdhesh Kuriyal







Wednesday, October 4, 2017

तू रंग मेरा...

तू कौन सा रंग है मेरा?
मैं सजने लगा तुझमे घुल के,
मैं रंग तेरा मेरा तू है,
खिलते रहे अब संघ बह के।

तू कौन तासीर है मेरी? 
कौन गीत सुरीला तू?
रात घनेरी काली तू,
और रात चाँद चमकीला तू।
तू घीत पुराना है मेरा,
वही राग सजीला तू।

आंसू तू ,हंसी रंग मुस्कान भी तू।
ईश्वर तू, अल्लाह भी तू,
ज़मीन रंग आसमान भी तू।
सजा फूल बाग़ भी तू,
शब्दों की आवाज भी तू,

तू उगता सूरज है मेरा,
सांझ लाल आसमान भी तू,
तू ख्याल मेरा,
रात,सपना और चाँद भी तू,
गर्म हवा शरद भी तू,
और शीत लहर ग्रीष्म भी तू।

मैं तेरा, और मेरा तू,
जीत, हार हर यार भी तू,
लहू तू, आँशु भी तू,
और हर कहानी जुबान भी तू।

तू शांत सवेरा है मेरा,
भीड़ शोर और चाल भी तू,
गीत, तर्रानुम तू मेरा,
और मृदंग ढोल ताल भी तू,

तू क्यों चंचल फिरता वन वन,
क्या ढूंढता बेसुद वन वन  यूँ?
मेरे हर हाल में तू, हर वाद में तू,
ये जीवन तू और ये सांस भी तू।