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Sunday, January 26, 2014

कुछ पल यूँ लगा जैसे तुम हो.


कुछ पल यूँ लगा जैसे तुम हो..
कुछ पल यूँ लगा जैसे तुम हो..


ख्यालों में खोते खोते जाने कब आँख लगी,
तेरे हुस्न-ऐ-दीदार तमन्ना जाने कब आँख लगी.
तेरी बाँहों में खोया रहा रात भर.

 कुछ पल यूँ लगा जैसे तुम हो..
हर पल यूँ लगा जैसे तुम हो..


तुमने कहा था प्यार जुबान-ऐ-बयां नहीं होता
फिर तेरा नाम लेते ही क्यों बयां होता है?
मेरी हर बात में तुम हो जैसे,
 मेरी हर सांस में तुम हो..


क्या तुम्हे याद है पहली दफा जब हम मिले थे?
उस सुबह की चमक तुम्हारी आँखों में आज भी दिखती है,
मुझे तेरा घबराके गले लग जाना आज भी बहुत भाता है!

फिर तुम्हे क्यों लगता है यूँ अकेले छोड़ गए हम तुम्हे?
तेरी वफ़ा की कदर है हमे,
 शायद यही सोचके आज भी तेरी गली में जाते हैं अब भी!

कल रात को ख्याल आया की जैसे तुम हो..
हर पल यूँ लगा जैसे तुम हो..
तेरे छुवन का एहसास हुवा तो लगा जैसे तुम हो..
कुछ पल यूँ लगा जैसे तुम हो..!

2 comments:

  1. good lines avdhesh...keep it up..

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  2. Great writing...pls forward it to.....u know it man! Hehehheehhe

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