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Monday, July 31, 2017

DREAM

Last night felt again, the wetness on my shoulder,
The black mark of your eye shades,
And we were talking, like we met after decades.
Last night felt again, that aroma, the aroma of your hair;
drawn a sweet disturbance in my eyes,
eyes, wants to keep and reside you always.
Last night felt again, the warmness of your arms,
that made me an emperor,
as veiled my all gloom.
Last night again you were in my DREAM,


last night, I want again and again, to live again.

भ्रम

हाँ हो सकता है, हो आज भी तुम कंही मुझमे,
घुली इक मिश्री की डली सी यादों, में रंग घुलाये हो लाल!

हाँ हो सकता है;
ये भी तो एक भ्रम हो सकता है,
तुम्हारी यादों में मेरे होने का?
इक सूखी पत्ती जैसे टूट चुकी हो,
 किसी बड़े पेड़ की!

हाँ हो सकता है;
कि मैं यूँही तपता हूँ इस आग में,
यादों की सब लकड़ी डाले! पिघल रहा हूँ,
ख़त्म हो रहा हूँ हर दिन!

हाँ हो सकता है;
हूँ आज भी मौजूद मैं,
इक भूला साथी किसी अनचाही राह का;
हाँ हो सकता है, दे रहा विस्वास होने का!

Thursday, July 27, 2017

रंग

रंगनि है अब दुनिया अपनी, जीत रंग सजाऊँ मैं!
रंग कँहा से लाऊं मैं? रंग कँहा से लाऊं मैं?

रंग दूँ खुद के धुंदले रंग को,
या भाग्य रंग इंतज़ार करूँ?
रंग दूँ उठकर जग सारा,
या जग रंग स्वीकार करूँ?
रंग खोज लूँ खुद में घुलकर,
या रंग बेरंगों से उधार करूँ?

रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग रंगीले हर पIर करूँ!

बेरंगों को रंग में भर दूँ,
हंसी रंग बहार करूँ!
रंगनि है अब कर्म धरातल,
मेहनत रंग मैं लाल करूँ!
वीर रंग जो है मुझमे, उस रंग का सृंगार करूँ!
रंगनि है अब दुनिया अपनी, रंग सूरज पहनाव करूँ!