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Wednesday, April 24, 2019

लग गए

कुछ दौलत कमाने में लग गए
कुछ नाम बनाने में लग गए
हम तो जी रहे थे शायद?
और ये भुलाने में लग गए

तन्हाई की आदतें अब
दर्द कुरेदती है बेपरवाह
कुछ लोग समझने लगे मुझे
कुछ हमे समझाने लग गए

जिंदगी से छोटी ख्वाइशें हैं
ख्वाइशों में बसी जिंदगी
जो दर्द दिए थे तुमने कल
हम भूल गए थे कुछ अब
तुम याद दिलाने लग गए

वो कह रहे थे मुझसे कुछ
कुछ मुझसे जानने  लग गए
था कुछ ना उनका भी, पर
वो मुझे पाने में लग गए.

                                -Avdhesh Kuriyal