आऊं क्या साथ निभाने फिर?
याद आगयी जो मेरी तुम्हे,
आऊं क्या याद दिलाने फिर?
छोड़ गए जो सब तुम्हें,
आऊं क्या साथ निभाने फिर?
तुम चल तो रही हो ना?
सहमी तो नहीं ,खुश तो हो ना?
क्या संवार लेती हो बालों को खुद ही?
कर लेती हो बातें खुद से?
बताओ?
बैठती हो अकेली क्या?
डरती तो नहीं, कहती तो हो ना?
क्या पी लेती हो चाय अकेले फिर?
मीठी तो होती है ना?
जलाती हो क्या अब भी
अदाओं से अपनी तुम; किसे?
बताओ?
तुम बोल तो रही हो ना?
खामोश तो नहीं,कोई सुन्न तो रहा है ना?
सुनाती हो सपने फिर किसे अब?
क्या अब भी रहता हूँ मैं?
करती हो चुगलियां अब किस से?
पसन्द आते हैं तुम्हें क्या सब अब ?
बताओ?
तुम महसूस तो कर रही हो ना?
बेवज़ह तो नहीं, मैं याद तो हूँ ना?
सुनाती हो दर्द किसे अब?
किसे लिपटकर रोती हो?
क्या लेती हो आघोश में उसे भी ?
सजाता है अपने लब पर मोती वो भी?
बताओ, चलो अब बता भी दो?
क्या जूठे हैं वो बर्तन अभी भी?
क्या करती है इंतज़ार वो मेज़ अब भी?
क्या ठहरता है सूरज वहाँ अब भी?
क्या धड़कता है दिल इंतज़ार में अब भी?
क्या लगती हो अधूरी मुझ बिन अब भी?
क्या गुनगुनाती हो मुझे अब भी?
क्या सुनाती हो मुझे कहीं अब भी?
क्या करती हो इंतज़ार अब भी?
बताओ, कुछ कहती क्यों नहीं ?
अब भी, आऊं क्या साथ निभाने?
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